Month: December 2019
कल्याणकों की तिथियाँ
श्री तिलोयपण्णत्ति (2000 हजार वर्ष प्राचीन ग्रंथ) को प्रमाणिक मानना चाहिये । मुनि श्री सुधासागर जी
बारह/सोलह भावनायें
बारह भावनायें संसार से उठने के लिये, सोलह भावनायें (comments में admin का जबाब देखेंं) संसार में निर्लिप्तता से रहकर, फिर उठने के लिये ।
सहना
बीज मिट्टी में दब कर सहता है तभी विशाल वृक्ष बनता है । जिस कंडक्टर ने गांधी जी को बेईज्ज़त करके ट्रेन से उतारा, उसका
विज्ञान / धर्म
विज्ञान – प्रयोगों पर आधारित; मूर्तिक विषय, धर्म – अनुभवों पर आधारित; अमूर्तिक विषय (भी) । दोनों की दिशायें प्राय: अलग अलग होती हैं ।
अज्ञान
ज्ञान नहीं होना, अज्ञान नहीं; विपरीत ज्ञान ही अज्ञान है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
अज्ञान
अज्ञान केवल दर्शनमोहनीय के कारण ही नहीं होता, बल्कि… चारित्र मोहनीय के कारण भी होता है, जैसे भरत चक्रवर्ती को । आचार्य श्री विद्यासागर जी
सद्-भूत / असद्-भूत
सद्-भूत = वर्तमान असद्-भूत = भूत/भविष्य मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
स्वंय के गुण
सीप में पैदा हुआ मोती, हार/भगवान के लिये प्रयोग होता है, जन्म-दात्री सीप नहीं !
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