Month: December 2019

तत्व / द्रव्य

तत्व सामान्य, बहुतों में एक सा, जैसे सोना आभूषणों में । द्रव्य सबमें अलग अलग जैसे एक-एक जीव, अनंत जीवों में । तत्व भावात्मक है,

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मान

मान तभी आता है, जब हम मान लेते हैं (कि हम बड़े हैं) । निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

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द्रव्य

हर द्रव्य अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाये रखता है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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असंख्यात गुणी निर्जरा

5वें गुणस्थान और आगे तो निरंतर असंख्यात गुणी निर्जरा, पर सम्यग्दृष्टि के भी अच्छे भावों के साथ णमोकार/पूजा/स्वाध्याय के समय भी हो सकती है ।

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मान्यतायें

मान्यतायें सबकी अलग अलग हो सकती हैं । सही/गलत का निर्णय प्रयोग (चारित्र) से ही हो सकता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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