Month: December 2019
योग / ध्यान
ईर्यापथ-आश्रव में योग, ध्यान की अपेक्षा कहा है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
समस्या
जीवन की हर समस्या ट्रैफिक की “लाल बत्ती” की तरह होती है यदि हम थोड़ी देर प्रतीक्षा कर लें, तो वह हरी हो जाती है,
पुण्य-बंध
कर्म-फल में हर्ष-विषाद नहीं करने से पुण्य-बंध बढ़ता ही जाता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
मनःस्थिति / परिस्थिति
मन:स्थिति निर्मल है तो परिस्थिति क्या करेगी ! परिस्थिति कर्माधीन है, मनःस्थिति स्वाधीन । परिस्थिति बदलने में समय लगता है, मनःस्थिति बदलने में क्षण मात्र
मन
मन का स्वभाव है – कान पकड़ कर काम कराना, इसलिये मन, कान वालों (संज्ञी) के ही होता है । चिंतन
संसार
प्राप्त/अप्राप्त को इंद्रिय/मन के द्वारा विषयों की खोज/पाना/बढ़ाना ही संसार है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
Truth
If you don’t climb the mountain(ऊँचाई), you can’t view the plain (सत्य).
अरहंता
अरहंता यानि पुण्य-फल, पंचकल्याणक अरहंत के होते है । अर्हत् यानि पूजा/योग्यता । आचार्य श्री विद्यासागर जी
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