Month: December 2019
ज्ञान / ज्ञेय
ज्ञान यदि ज्ञेय से एक अंश भी प्रभावित हुआ तो कर्म-फल चेतना के अंतर्गत आ जाता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
गुण / दोष
भगवान को अनंतचतुष्टय-धारी कहने से पहले 18 दोषों से रहित कहा है । मिथ्यात्व समाप्त होने पर सम्यग्दर्शन प्रकट होना कहा । आचार्य श्री विद्यासागर जी
पंचम – काल
अंधेरा ही अंधेरा है (वातावरण), मैं अंधा हूँ, मेरा गुरू भी अंधा है (विशेष ज्ञान नहीं), हाथ में लाठी भी नहीं (हीन संहनन), राह उबड़-खाबड़,
अधूरे
हम अधूरे क्यों ? हम दृश्य को ही जानते/जानना चाहते हैं । जबकि अदृश्य, दृश्य से अनंतगुणा है । मुनि श्री महासागर जी
कल्पातीत स्वर्ग
यहाँ से आने वाले जीव तिर्यंच नहीं बनते हैं, क्योंकि यहाँ आकुलता/वासना नहीं होती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
हित / अहित
💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎 हित चाहने वाला पराया भी अपना है और अहित करने वाला अपना भी पराया है ! रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि
आयुकर्म
अप्रमत्त* के ही आयुकर्म की उदीरणा नहीं है बाकी सब (निचले गुणस्थान वाले) तो आयुकर्म का अपव्यय ही करते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी
परमात्मा का घर
पूरी जिंदगी लगा दी चाबी खोजने में, अंत में पता चला कि ताला तो क्या, दरवाजे भी नहीं हैं… परमात्मा के घर में । भीतर
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