2020 >> 2021
“इक्कीस” (2021) = इक ईस (एक ईश)
आचार्य श्री विद्या सागर जी
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(2) एक में याद है, दूसरे में आस, एक को है तज़ुर्वा, दूसरे को विश्वास…
दोनों जुड़े हुए हैं ऐसे, धागे के दो छोर के जैसे, पर देखो दूर रहकर भी साथ निभाते हैं कैसे !
जो पिछला वर्ष छोड़ के जाता है, उसे नववर्ष अपनाता है, और जो पिछले वर्ष के वादे हैं, उन्हें नववर्ष निभाता है…
लेकिन गतवर्ष से नववर्ष बस १ पल मे पहुंच जाते हैं !
गतवर्ष की जुदाई को दुनिया ने एक त्यौहार बना रखा है..!!
😊 _ђɑρρý New ýεɑя _ 😊
(अनुपम चौधरी)
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(3) “0” समाप्त हुआ, “1” प्रकट …प्रगति का संकेत ।
बुराइयाँ “0” हों, हमारे “0” होने के पहले,
हर-1 दिन, “1” अच्छाई जुड़े हम सबके जीवन में…1.1.21
चिंतन
One Response
उक्त कथन सत्य है कि एक में याद रहता है जबकि दूसरे में आस रहती है यानी एक में तजुर्बा रहता है और दूसरे में विश्वास होना आवश्यक है। जीवन में वर्ष आते हैं और निकल जाते हैं । जीवन में पुराने वर्षों का अनुभव लेकर नवीन वर्ष में संकल्प लेकर कि पुराने वर्षों में जो गल्तीयाँ की थीं उसको छोडकर नये वर्ष में विश्वास के साथ नवीन ऊर्जा के साथ चलना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।