Month: January 2020
मोहनीय / सुख
मोहनीय तो 10वें गुणस्थान के अंत में समाप्त हो जाता है तो अनंत सुख 11, 12, गुणस्थान में क्यों नहीं ? क्योंकि ज्ञान पर आवरण
देवता और आहार दान
देवता मुनि को आहार दान क्यों नहीं देते हैं ? वे आहार दान ला सकते हैं, बना भी सकते हैं, पर वे खुद के लिये
नामकर्म
प्लास्टिक सर्जरी करा कर असुंदर भी सुंदर हो सकता है, बशर्ते… उसकी सत्ता में शुभ-नामकर्म हो । मुनि श्री सुधासागर जी
विनाशकाले विपरीत बुद्धि
रावण की ही नहीं, राम की भी, वरना मृग सोने का हो सकता है क्या ? मुनि श्री प्रमाणसागर जी
संज्ञा
आचार्य श्री ज्ञानसागर जी कहते थे – “जिनके पास परिग्रह-संज्ञा है, उनकी परिक्रमा भय-संज्ञा करती रहती है” आचार्य श्री विद्यासागर जी
ज्ञान / ज्ञानी
दीपक (प्रकाश) को कहीं भी ले जाया जा सकता है । ज्ञान, ज्ञानी के आश्रित रहता है, ज्ञानी (दीपक) के अभाव में अज्ञान (अंधेरा) छा
वैय्यावृत्ति
आचार्य समन्तभद्र जी ने वैय्यावृत्ति को दान में शायद इसीलिये लिया होगा, क्योंकि उनकी गंभीर बीमारी के समय उनको वैय्यावृत्ति का महत्व समझ आया होगा
जीने का उद्देश्य
इस और अगले जन्म को सार्थक बनाना ही जीने का उद्देश्य होना चाहिये । आ. श्री महाप्रज्ञ जी इस जीवन को विषय-भोगों से वंचित रख
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