Month: January 2020
सामायिक / स्वाध्याय
सामायिक नियत समय वाली तथा अनियत समय वाली भी, जिसमें हर समय समताभाव रखे जाते हैं । सामायिक निवृत्तियात्मक होती है, स्वाध्याय प्रवृत्तियात्मक । मुनि
शुद्धता
भावों की शुद्धि के साथ द्रव्य (शारीरिक) शुद्ध भी बहुत महत्वपूर्ण है, तभी तो शरीर को अपवित्र होने से बचाने के लिये पद्मिनि आदि ने
ध्यान
ध्यान तो कोई शुद्ध नहीं, पर आर्त/रौद्र के अभाव वाले ध्यान को शुद्ध कह दिया । आचार्य श्री विद्यासागर जी
Understanding
Being understood is hard work. (फिर हमको यह शिकायत क्यों रहती है कि कोई समझता ही नहीं !)
परस्परोपकार
भोजन पात्र के बिना पकता नहीं, तब कैसे कहा की एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कुछ कर सकता नहीं ! पहले पात्र पर मिट्टी लगा
Planning
Good things only happen when planned, bad things happen of their own.
व्यवहार / निश्चय
निश्चय रूपी दूध को उपयोगात्मक बनाने के लिये उसे व्यवहार के बर्तन में उबालना होता है । मुनि श्री सुधासागर जी
सच्चाई
झूठे इंसान की ऊंची आवाज, सच्चे इंसान को खामोश करा देती है ! लेकिन सच्चे इंसान की खामोशी, झूठे इंसान की बुनियाद हिला देती है
ज्ञेयत्व
1. क्रोध के कारण ज्ञेय पदार्थ का क्रोधी ना होना, जैसे अग्नि से दर्पण गरम ना होना । 2. क्रोध का निमित्त पा आत्मा का
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