Month: March 2020
तीर्थ-यात्रा
जब जीवन निर्वाह/व्यापार में सफलता नहीं मिलती तब हम गाँव-गाँव जाकर नये-नये काम खोजते हैं । ऐसे ही जब अपने मंदिर के जिनबिंब से प्रगति/सम्यग्दर्शन
शांति-धारा
ऐसी आपदा में शांति-धारा से तो शांति प्राप्त होती, फिर मंदिर क्यों बंद किये गये ? आग लगने पर जल-धारा डालने से शांति होती है,
कोरोना
गुरु/धर्म कह-कह कर थक गए कि… “करो ना, करो ना”(*), यदि कर लिया होता, तो आज यह न कहना पड़ता कि… “करो ना”(**) (*)…..जो करने
द्रव्य-सम्यग्दर्शन
द्रव्य-लिंगी मुनि के द्रव्य-सम्यग्दर्शन तो होगा क्योंकि वे चर्या निभाते समय जीवों की रक्षा तो कर रहे हैं ना ! पर उनको देखकर दूसरों को
नियति / पुरुषार्थ
क्षयोपशमिक, क्षायिक और औपशमिक भाव नियत नहीं होते, पुरुषार्थ से ही उनका संबंध है । जोड़ियाँ भी नियत नहीं, वरना तलाक क्यों होते ! देवों
जन्म जयंती/कल्याणक
जन्म जयंती स्मृति रूप, भगवान के निर्वाण के बाद मनायी जाती है । जन्म कल्याणक भगवान के समक्ष उनके जन्म के समय देवता और मनुष्य
सौगंध
गंध खायी नहीं जा सकती, ऐसे ही जिसकी सौगंध ली जा रही हो जैसे “भगवान की”, तो उसे भी तो खा नहीं सकते । अत:
उर्ध्वगमन
जीव का स्वभाव है उर्ध्वगमन तो फिर वह नरक कैसे चला जाता है ? स्वभाव उर्ध्वगमन है, विभाव नहीं, विभाव से तो वह किसी भी
संघर्ष
संघर्ष एक ऐसा केन्द्र है जहाँ…. हताशा का व्यास कितना भी बढ़े लेकिन…. संभावनाओं की परिधि कम नहीं होती….! (सुरेश)
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