Day: April 12, 2020

निद्धत्ति / निकाचित कर्म

चरणानुयोग के अनुसार – देवदर्शन से निद्धत्ति/निकाचित-पना समाप्त हो जाता है । सिद्धांतग्रंथों के अनुसार, इन्हें भोगना ही पड़ता है (जैसे सीता/अंजना जी ने को

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आलोचना

आलोचना से लोचन खुलते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी इसलिये आलोचना का स्वागत करो (स्व+आगत)(अच्छे से बुलाना – पं.रतनलाल बैनाडा जी), स्व का हितकारी/प्रिय

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मंगल आशीष

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April 12, 2020