Month: April 2020
अयोग केवली का समय
14 वें गुणस्थान में 5 शब्द (अ, इ, उ, ऋ, लृ) बोलने का समय लगता है, ये वचन तथा काय ऋद्धिधारी मुनि के बोलने का
कामना / प्रार्थना
कामना- – मन की इच्छाओं को प्रकट करना, गुरु/भगवान से अपने/अपनों के लिये कुछ मांगना । प्रार्थना- – इष्ट के सामने अपनी लघुता को प्रकट
उपादान
कर्म के कारण, वर्तमान में मेरा उपादान का तो अशुद्ध परिणमन है । ध्येय अशुद्ध से शुभ और शुभ से शुद्ध बनाना है, जैसे काले
स्वभाव
शरीरों के स्वभाव अलग अलग – मिट्टी व जल स्वभाव वाले एकमेव, धातु लकड़ी को -काटेगी, अग्नि लकड़ी को -जलायेगी, विपरीत स्वभाव वाले । इसलिये
अवधि-ज्ञान
अवधि-ज्ञान, भव तथा लब्धि (तप से) -प्रत्यय दोनों प्रकार का । यह द्रष्यात्मक होता है, शब्दात्मक नहीं, क्योंकि अवधि-ज्ञान के समय मति/श्रुत-ज्ञान पर उपयोग नहीं
दु:ख
धरती पर हल चलाने से उसको दु:ख तो होता है, पर धर्म रूपी फसल उगाने को धरती उर्वरा हो जाती है, तथा परोपकार के संतोष
व्यवहार
3 प्रकार का – 1. लोक व्यवहार रूप – ये शरीर मेरा है । 2. अध्यात्म रूप – मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ । 3.
पुण्य
पुण्य अनूकूल दिशा में बहने वाली हवा है, जो हमको गंतव्य पर जल्दी पहुँचा देने में सहायक होती है ।
संयम
संयम, बंध (बंधन) नहीं, अनुबंध है; क्योंकि स्वीकृति से है । संसार के अनुबंध, बंधन के लिये, परमार्थ के अनुबंध, बंधन से छूटने के लिये
ज्ञान / चारित्र
गधे के ऊपर कितनी भी स्वादिष्ट सामग्री लाद दो, पर उसके मुँह में स्वाद नहीं आयेगा । आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी
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