Month: June 2020
अंतराय
मुनि को बच्चों के रोने से अंतराय नहीं मानना चाहिये । आचार्य श्री कहते हैं कि – बच्चों का रोना तो उनके माँगने/माँग पूरी कराने
धार्मिक-क्रियायें
धार्मिक-क्रियाओं की सार्थकता तभी है जब स्वयं को पहचान जाओ, वरना धर्म कर किसके लिये रहे हो !
जलादि-कायिक जीव
जलादि-कायिक जीव बादर ही होते हैं, क्योंकि ये जीव जलादि पुदगल के आधार ही रहते हैं । (गाथा – 179 प्रवचनसार) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
परम औदारिक शरीर / भूख
भूख नहीं लगने पर दही/छाछ पिलाई जाती है, इससे पेट में वैक्टीरिया Develop हो जाते हैं । परम औदारिक शरीर होने पर भूख समाप्त हो जाती है
शेव/कटिंग का सूतक
शेव/कटिंग का सूतक सिर्फ नहाने तक का होता है । मुनि श्री सुधासागर जी
पुरुषार्थ
पढ़ाते समय शिक्षक* सबको एक सा पढ़ाता है पर परीक्षा में कोई पास तो कोई फ़ेल होता है, इसके लिये शिक्षक को दोषी** नहीं कह
विभंगावधि / मरण
विभंगावधि* के साथ मरण नहीं होता । मरण आने पर विभंगावधि छूट जाता है । * प्राकृत-भाषा में विहंगावधि कहते हैं आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी
माँ और पत्नी
पत्नी का तो जीवन भर का साथ है, माँ तो थोड़े दिन की, खुश किसे रखें ? माँ का आशीर्वाद तो जीवन भर का है,
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