Month: July 2020
जैन गणित
इसमें जघन्य संख्या “2” से लेकर असंख्यात से 1 कम तक, संख्यात में आतीं हैं । “1” को संख्यात में नहीं “गणना” में लिया जाता
अप्पा
अप्पा यानि आत्मा । अप्पा से “आप” बना है । कहते हैं ना ! … “आप कैसे हैं ?” यानि आपकी आत्मा कैसी है !
काल
काल को अप्रदेशी कहा पर अप्रदेश से अस्तित्व रहित नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों का अभाव का आशय है । काल को एक प्रदेशी भी कहा
वैराग्य
कड़क सर्दी में आचार्य श्री विद्यासागर जी के शरीर में कांटे उठ रहे थे, भक्त के इंगित करने पर आ. श्री ने कहा – शरीर
अतिचार / अनाचार / शिथिलाचार
अतिचार – यदाकदा दोष, प्रायश्चित लेना, अनाचार – व्रत छोड़ना, (उदा. आचार्य समंतभद्र), शिथिलाचार तो पाप है, दुर्गति का कारण है । पहले दो तो
सम्बंध
एक घड़ा तैरता हुआ दूसरे घड़े के पास आने लगा तो दूसरा घबराया । क्यों ? हम तो एक ही जाति के हैं ? जब
आदिनाथ
आदिनाथ नाम तो प्रथम तीर्थंकर होने की अपेक्षा से पड़ा है । उनका असली नाम तो ऋषभनाथ/वृषभनाथ था । मुनि श्री सुधासागर जी
दान / त्याग
दान में वस्तु के प्रति आदर भाव होता है, संसार अच्छा चलता है । त्याग में ना आदर होता है ना हेयता, संसार घटता है
गर्भज
मोक्ष, गर्भज जीव ही जाते हैं । तो हमें गर्भ में धारण करने/ ऐसा जन्म देने वालों का सम्मान करना चाहिए न ! मोक्ष जाने
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