Month: August 2020
अज्ञान-भाव
अज्ञान-भाव : 1. औदायिक हैं – मोक्षमार्ग की अपेक्षा । जब ज्ञान की कमी को विषय बनाते हैं । 2. क्षयोपशमिक हैं – ज्ञानावरण की
सम्भावना
सम्भावना = सम + भावना । जब भावना सबके प्रति समान होंगी, तब सम्भावना (कल्याण की) बढ़ेगी ।
स्वाध्याय
पूर्व में जब शास्त्र नहीं थे, तब श्रावक 6 आवश्यक में स्वाध्याय कैसे करते थे ? स्वाध्याय सिर्फ शास्त्रों से ही नहीं, श्रुत/चिंतन से भी
74 वाँ स्वतंत्रता-दिवस
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी स्वतंत्रता = क्रियात्मक जीवन परतंत्रता = प्रतिक्रियात्मक जीवन पहले देश पराधीन था पर सोच/चेतना आज़ाद थी, आज देश आज़ाद लेकिन
देवों के बाल
इसके 2 मत हैं । श्री आदिपुराण ने देवों के बाल माने हैं, अन्य ने नहीं । मुनि श्री सुधासागर जी
सामूहिक / व्यक्तिगत
अधिक प्रकाशित दीपक वाले के साथ चलने में लाभ तो है, पर जब वह अपने रास्ते या अपनी चाल से चलकर आपसे अलग हो जायेगा
सावधानी
समवसरण जैसे पवित्र वातावरण तथा भगवान की उपस्थिति में भी स्त्री/पुरुष, साधु/साध्वियों, देव/देवियों के कोठे अलग अलग होते हैं ।
रोना
रोना हो तो घर के अंदर ही रोना । दरवाजा तो हँस कर ही खोलना । यदि सामने वाले को पता लग गया कि तुम
दोष और दोषी
पुलाक मुनियों को मूलगुणों में दोष लगने पर भी गुणस्थान नहीं गिरता, क्योंकि दोष लगा – प्रतिक्रमण/प्रायश्चित कर लिया । दोष लगाया नहीं, लग गया
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