Month: September 2020
रत्नत्रय / शुद्धोपयोग
रत्नत्रय तथा शुद्धोपयोग आत्मा के स्वभाव नहीं, विभाव हैं क्योंकि ये भी छूट जाते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
क्रोध
बर्फ को आग भी गरम नहीं कर सकती । जल पी लेने से वह शरीर रूप Solid बन जाता है; ऐसे ही हम क्रोध को
मन
मन आत्मा का काम करने वाला यंत्र है पर आत्मा से अलग स्वभाव वाला है । आत्मा चेतन स्वभाव वाला है, मन पौदगलिक है इसलिये
राग और तप
सूर्योदय लाल होता है (राग का प्रतीक) दोपहर तपते तपते सफेद/तेजस्वी; राग को कम/खत्म करने के लिये तप बहुत महत्वपूर्ण है । सूर्यास्त फ़िर लाल
मोक्षमार्ग में याचना
मोक्षमार्ग में श्रीमंत ही चल सकते हैं, दातार/उदार ही मार्गी होगा, याचक नहीं । इसमें साधु भी आते हैं क्योंकि उनकी विभूति भगवान जैसी तो
धर्म का प्रभाव
तीर्थों/गुरुओं के पास जाते हैं तो मन सुगंधि से भर जाता है, उसे घर तक कैसे बनायें रखें ? बाग की सुगंधि का Essence बना
आम्नाय
आम्नाय यानि परम्परा, पर स्वाध्याय में बार बार पठन करेंगे तभी तो वह आम्नाय बनेगी। मुनि श्री सुधासागर जी
रागद्वेष / मोह
रागद्वेष, कषाय जन्य हैं, मोह मिथ्यात्व से उत्पन्न/प्रेरित होने वाली चीज है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
विदेशों में तिथियाँ
विदेशों में तिथियाँ वहाँ के देशांतर/अक्षांशादि से निकालना चाहिये । पर वहां ऐसे कलैंडरादि होते नहीं हैं इसलिये वहाँ भारत की तिथि मानते हैं ।
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