Month: September 2020
अनेकांत
अनेकांती वह… जो विवाद होने पर, अनेकों की राय/निर्णय को सम्मान दे । चिंतन
मंगल
दृष्टि-मंगल – जैसे मछली दृष्टि से अंडों को ऊर्जा देती है, वैसे ही भगवान की मूर्ति भक्तों को । शब्द-मंगल – टिटहरी/पूजादि । स्पर्श-मंगल –
सम्बंध
सम्बंध बनाना जैसे मिट्टी पर मिट्टी लिखना, सम्बंध निभाना जैसे पानी पर पानी लिखना । या कहें – बनाना जैसे मिट्टी में पानी मिलाना, निभाना
अज्ञानी / ज्ञानी
अज्ञानी … 1. सबसे नीचे के – जो भगवान के अस्तित्व को ही नहीं मानते । 2. अस्तित्व को तो मानते हैं,पर उसे अपना कर्ता/Controller
नियम
थोड़े समय के लिये चीज़ों का त्याग करने से द्रव्य का आकर्षण छोड़ने का लाभ तो मिलेगा, पर Period short होने से भावों में नियंत्रण
रसना
प्रसिद्ध आचार्य वसुनंदि (पुराने) ने लिखा है – साधु की (किसी व्यक्ति की भी) आहार-चर्या देख लेना, यदि सही है (शास्त्रानुसार है) तो उनकी अन्य
जीवन-रथ
जीवन रूपी रथ के… घोड़े – कर्म हैं, पहिये – कर्मफल (धीरे/ तेज/ कीचड़ में धसना), विवेक – सारथी (घोड़ों को optimum दौड़ाना पर थकाना
अवगाहनत्व
धर्म/अधर्म/काल में अवगाहनत्व शक्ति नहीं होती । आकाश में तो पूर्णता और सब द्रव्यों के लिये होती है पर जीव/पुदगल में भी ये शक्ति होती
आदत / स्वभाव
आदत अच्छी/बुरी दोनों । स्वभाव अच्छा ही । बुरी आदत पड़ने पर स्वभाव, विभाव बन जाता है । मुनि श्री सुधासागर जी
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