Day: October 8, 2020

योग्य-उपादान

योग्य-उपादान + योग्य निमित्त से ही कार्य की सिद्धि होती है । उपादान —– शाश्वत, जैसे सूखी मिट्टी/ भव्य जीव; योग्य-उपादान – तात्कालिक, जैसे गीली

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कर्म-फल

फल एक बार ही स्वाद (खट्टा या मीठा) देता है, कर्म भी एक बार फल देकर झर जाते हैं । (चाहे जैसा का तैसा/ खट्टा

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मंगल आशीष

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October 8, 2020