Month: October 2020
परिणमन
कर्म परमाणुओं का भी परिणमन होता है – स्कंध रूप फिर कर्म-वर्गणायें । जूस* युक्त जूस रहित । * कर्म-फल देने की शक्ति मुनि श्री
ख़ुश रहना
खुश रहना है तो – अपनों में रहो, सांसारिक दृष्टि से । अपने में रहो, आध्यात्मिक दृष्टि से । आपे में रहो, सामान्य दृष्टि से
बिजली जलाने से अंतराय
इसे अंतराय मानने का कारण – 1. बिजली उत्पादन में हिंसा । 2. बिजली जलने/बंद होने में अग्निकायिक/बादर जीवों की हिंसा । 3. बिजली जलाने
मान
मान इतना बुरा नहीं है, जितना दूसरों का अपमान करना । दूसरों का सम्मान न करें चलेगा, अपने सम्मान की आकांक्षा ना रखें । मुनि
गुण
जिनसे पहचान हो, उसे गुण कहते हैं । जैसे मुनियों की पहचान 28 मूलगुणों से, श्रावक की प्रशम (विपरीत परिस्थितियों में उद्वेलित ना होना), मिथ्यादॄष्टि
गुरु
आचार्य श्री ज्ञानसागर जी (आ. श्री विद्यासागर जी के गुरु) कहा करते थे – 2 रु. की हाँड़ी लेने से पहले ठोंक-बजा कर लेते हो,
ज्ञान
सिद्धों का स्वरूप तथा रूप दोनों ज्ञानमय होते हैं, हमारा सिर्फ स्वरूप ज्ञानमय है । आचार्य श्री वसुनंदी जी
धार्मिक-क्रियायें
शरीर पर मैल लगने पर मक्खियाँ भिनकने लगती हैं, मैल साफ करने पर ही हटती हैं । विकार रूपी मैल आत्मा पर लगने पर समाज
मन
मन को राजा कहा है क्योंकि वह पाँचों इन्द्रिय को भोगता है/उन पर नियंत्रण करता है । मन को बंदर भी कहा है क्योंकि वह
छवि
जिसकी छाया पड़ती है जैसे मकान, कार, शरीर आदि, उसी की छवि की चिंता होती है । आत्मा की छाया नहीं पड़ती सो हम उसकी
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