Month: October 2020
स्वाध्याय
मनुष्य के बच्चों की जठराग्नी सबसे कम, इसीलिए प्रकृति ने माँ के दूध को सबसे पतला बनाया है; इस दूध का खोया भी नहीं बन
पुरुषार्थ / आशीर्वाद
पहले अपने आत्मविश्वास/ पुरुषार्थ से समस्याओं को निपटाओ, न निपटे तब भगवान/ गुरु की शरण में जाना; लेकिन वहां भी अपनी भक्ति के विश्वास पर
श्रद्धा / सिद्धि
श्रद्धा हो तो सिद्धि (कार्य की) हो जायेगी, बिना ज्ञान के भी जैसे अंजन चोर को णमोकार नहीं आता था । (पर संसार में ज्ञान
उलझन
उलझन सुलझाने का सरल उपाय – उलझन में “साता” का “स” लगा लो, उलझन “सुलझन” बन जायेगी । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
द्रव्य / तत्व / पदार्थ
द्रव्य में तत्व को मिला दो, पदार्थ कहलायेगा । मुनि श्री सुधासागर जी
धार्मिक क्रियायें
वृक्ष लगाना अच्छा है (धार्मिक क्रियायें), पर उसकी छाया लेना (शांति/सुकून), फल खाना (आत्मोन्नति), संतति बढ़ाना (प्रभावना), और भी अच्छा । आचार्य श्री वसुनंदी जी
योग्य-उपादान
योग्य-उपादान + योग्य निमित्त से ही कार्य की सिद्धि होती है । उपादान —– शाश्वत, जैसे सूखी मिट्टी/ भव्य जीव; योग्य-उपादान – तात्कालिक, जैसे गीली
कर्म-फल
फल एक बार ही स्वाद (खट्टा या मीठा) देता है, कर्म भी एक बार फल देकर झर जाते हैं । (चाहे जैसा का तैसा/ खट्टा
अनुयोग
माँ बच्चे को दूसरे बच्चों का उदाहरण देती है – प्रथमानुयोग, नियमादि बताती है – करुणायोग, कैसे चलना/व्यवहार करना – चरणानुयोग, बच्चे को शांत रहने
बुरा समय
परिंदे शुक्रगुज़ार हैं, पतझड़ के, तिनके कहाँ से लाते, यदि सदा बहार रहती । यश जैन – बड़वानी
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