Month: November 2020
बंध / निर्ज़रा
बंध तो हमेशा होता ही रहता है, लेकिन जिनेंद्र भगवान की भक्ति करते समय ऐसी प्रकृतिओं का बंध होता है, जो बंध को काटने में
विकास
बाह्य विकास करने की मनाही नहीं है, पर उसे Ultimate मत मानो । आंतरिक विकास बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर
छह आवश्यक
छह आवश्यकों में व्यस्त होना बहुत पुण्य का उदय, और संयम भी माना जाता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
विरोध
गतिमान का विरोध ही नहीं, अंतर-विरोध भी होता है । पर दृढ़त/संकल्प इन विरोधों को Stepping Stone बनाकर अपनी प्रगति को बढ़ा देते हैं। जैसे
गुण ग्राहिता
एक इंद्रीय जल से भी वह गुण ग्रहण कर सकते हैं जो हम में भी नहीं हैं । जल भगवान के शरीर को स्पर्श करके
लेन-देन
अति उपकारी फलदार वृक्ष को भी पहले खाद पानी/सेवा करने पर ही उनसे फल प्राप्त होते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी
उपसर्ग
उपसर्ग केवलज्ञान से पहले 12वें गुणस्थान तक हो सकते हैं पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
कठिन / आसान
सबसे कठिन आसन है….आश्वासन, सबसे लंबा श्वास …….विश्वास, सबसे कठिन योग …… वियोग, और सबसे अच्छा योग है.. सहयोग । (सुरेश)
विषय / कषाय
विषय बाहरी, इनके प्रति प्रतिबद्ध हैं । कषाय अंतरंग, इसलिए संसार से प्रतिबद्ध हैं । विषय से कषाय और कषाय से विषय होते हैं ।
सच्चाई
सच्चाई वो दीपक है, जिसे अगर पहाड़ की चोटी पर भी रख दो तो… बेश़क रौश़नी कम हो, लेकिन दिखाई बहुत दूर से भी देता
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