Month: December 2020
ध्रुव / अध्रुव
ध्रुव भाव आते ही, अध्रुव पदार्थ भी आने लगते हैं क्योंकि ध्रुव भाव में साता रहती है । जहाँ साता/संवेग रहती है वहाँ वैभव आता
गज-स्नान
पूजादि करके क्रोधादि करने पर दोष ज्यादा लगता है, जैसे… हाथी पर धूल तो लगती/गिरती रहती है पर वह नहाने के बाद यदि धूल में
उद्वेग / संवेग
उद्वेग – हम कुछ हैं/बाह्य Achievement, आत्मा से दूर ले जाता है । संवेग – “मैं” घटाना है, आत्मा के पास ले जाता है ।
क्षमा
क्षमा करने से “क्रोध” समाप्त, क्षमा माँगने से “मान” समाप्त । (मंजू)
कर्म
कर्म… सम्यग्दृष्टि के “हो जाते हैं”, मिथ्यादृष्टि.. “कर जाते हैं” ।
हौसला
उम्मीदों का दामन थामा है तो हौसलों का भी थामे रहना; जब नाकामियाँ चरम-सीमा पर होतीं हैं, तब कामयाबीयाँ बहुत करीब होतीं हैं । (मंजू)
गृहीत-मिथ्यात्व
गृहीत-मिथ्यात्व सिर्फ भरत/ऐरावत क्षेत्रों के मनुष्यों के ही और हुंडावसर्पिणी में ही होता है । मुनि श्री सुधासागर जी
धर्मात्मा
जो पुण्य-कर्मों में आगे, और पाप-कर्मों में (सबसे) पीछे रहे । जो बिना बोली (लगाये) खूब बोल दे, वह धर्मात्मा । मुनि श्री प्रमाण सागर
दस धर्म
इन धर्मों के लक्षण ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जिस व्यक्ति में ये दस लक्षण दिखें वो धर्मात्मा, न कि क्रियायें करने वाला । जो धर्म के
कृपा / पुरुषार्थ
भक्त… प्रभु ! बस मेरी एक करोड़ रुपए की लौटरी निकलवा दो । प्रभु… टिकट का नम्बर बता ! भक्त…टिकट तो खरीदी नहीं है ।
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