Month: January 2021
21.1.21
इक्कीस = इक ईस पहला ईस = अरिहंत दूसरा ईश = सिद्ध दोनों के बीच “1”, मैं अकेला, ईश्वरीय गुणों/ शक्तियों से रक्षित । चिंतन
उपादान / कर्म / निमित्त / पुरुषार्थ
दीपक के उपादान को प्रकाशित करने में – घी – कर्म है, बाती – निमित्त, चिमनी – पुरुषार्थ है । मुनि श्री सुधासागर जी
पूज्य / पूजक
“पूज्य” बनो, या “पूजक”, तीसरा कुछ नहीं, तीसरा तो बस “तीये” की बैठक होगी । मुनि श्री सुधासागर जी
श्रावक/श्रमण
“मोही श्रमण से निर्मोही श्रावक अच्छा” इसलिये नहीं कहा कि ऐसा श्रावक मोक्षमार्गी हो गया बल्कि श्रमण को कहा कि तुम भी मोक्षमार्गी नहीं रहे
ज्ञान / विज्ञान
ज्ञान पढ़ा/बोला जाता है, Theory है; विज्ञान ज्ञान के साथ साथ किया/देखा जाता है, Practical भी है । चिंतन
काललब्धि
किसी भी लब्धि के लिये काल (समय) के साथ साथ योग्यता भी आवश्यक है तथा पुरुषार्थ भी । देवों में आहार/श्वासोच्छवासादि सब निर्धारित समय पर
पगलिया
जैसे सकलपारा चासनी में “पग” जाता है/चासनी उसके कण कण में समा जाती है, ऐसे ही हम अपने हठाग्रह/भौतिकता से “पग” गये हैं । अति
मोक्षमार्ग
आत्मा को दु:खों से दूर रखने/मुक्त करने का मार्ग । दु:ख दूर होते हैं, पापों से दूर रहने से । पाप करते समय तो अच्छे
संयोग
संयोग बहुतेरे, संयोगी भाव न कर; संयोगी भाव करै तो, संयोगों का दोष नहीं । श्री लालमणी भाई
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