Month: January 2021
सिद्धि
1. मंत्रों की सिद्धि, मन की इच्छाओं की पूर्ति (मिथ्यादृष्टि द्वारा) के लिये ही नहीं, मन को साधने (एकाग्रता) के लिये/ सम्यग्दृष्टि के लिये भी
भारत
भारत में वह है जो विश्व में कहीं नहीं । बाहर की भौतिकता को देखकर आँखें खुली रह जाती हैं, भारत में आकर आँखें बंद
वस्त्रादि
वस्त्रादि रौद्र-ध्यान के प्रारूप हैं । (वस्त्रादि बहुत सी समस्याओं के समाधान के साथ साथ कारण भी हैं ।) आचार्य श्री विद्यासागर जी
गरीबों को दान
धर्मकार्यों के खर्चे में से कटौती से गरीबों को दान करते हो तो दोनों को दोष, अपने भोग-विलास/पाप क्रियाओं के खर्चे से गरीब को दान
मोह
मोह… पदार्थों का अयथार्थ ग्रहण करना । दूसरों के परिणमण को अपना परिणमण मानना । दूसरों में एकत्व बुद्धि होना । कर्तव्य करते हुये अंतरंग
शिक्षा
सांसारिकता में गुणा-भाग, पारिमार्थिकता में गुणात्मक प्रगति, सांसारिकता में त्रिकोण/षटकोण, पारिमार्थिकता में दृष्टिकोण विषय रहता है । मुनि श्री प्रमाण सागर जी
मुनि की मूर्ति
मुनियों की कौन सी अवस्था की मूर्ति बनायें ? युवावस्था की या वृद्धावस्था की ? पेट बाहर निकले/ चेहरे पर झुरिंयों सहित या सुडौल/ सुंदर
शब्द
शब्द पंगु हैं, पंगु कैसे ? पिता शब्द कहते ही, उस व्यक्ति के अन्य रिश्ते गौण हो जाते हैं न ! मुनि श्री सुधासागर जी
द्रव्यों का चिंतन
द्रव्यों का उपादेय – जीवास्तिकाय, बाकी सब ज्ञेय । अज्ञानी की दृष्टि पुद्गल पर, थोड़ा ज्ञान होने पर जीवद्रव्य पर, ज्ञानी होने पर जीवास्तिकाय का
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