Day: June 15, 2021

योग / भोग

मित्र/शत्रु, सुख/दुख, प्रशंसा/निन्दा, सोना/मिट्टी, जीवन/मरण में से… भोगी… मित्र, सुखादि को ग्रहण करना चाहता है, क्योंकि जन्मजन्मांतरों के संस्कार हैं, इसलिये बिना प्रयास के भोगता

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वेद और वेदना

वेद बिना संवेदना के साथ पढ़ने से सिर्फ अपनी वेदना समझ आयेगी । जिसके अंदर संवेदना है उसे वेद का ज्ञान तो हो ही जायेगा

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मंगल आशीष

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June 15, 2021