Month: June 2021
योग / भोग
मित्र/शत्रु, सुख/दुख, प्रशंसा/निन्दा, सोना/मिट्टी, जीवन/मरण में से… भोगी… मित्र, सुखादि को ग्रहण करना चाहता है, क्योंकि जन्मजन्मांतरों के संस्कार हैं, इसलिये बिना प्रयास के भोगता
वेद और वेदना
वेद बिना संवेदना के साथ पढ़ने से सिर्फ अपनी वेदना समझ आयेगी । जिसके अंदर संवेदना है उसे वेद का ज्ञान तो हो ही जायेगा
समता
समता तो गृहस्थ तथा साधु दोनों धारण करते हैं; श्रावक सभ्यता के नाते/ सामाजिकता/ स्वार्थपूर्ति के लिये, बाह्य समता रखता है, साधु खुद के नाते/
व्यवधान
दीपक को जलना है, हवा को चलना है, दीपक बुझता है । दोष हवा का नहींं, दोनों का अपना अपना स्वभाव है । दीपक क्या
कर्मोदय
कर्म उदय से पहले मन में आता है । वही अच्छे/बुरे विचार बनाता है जैसे गला ख़राब होने से पहले खट्टी/ठंडी चीजें खाने का मन
संसार कितना ?
संसार कितना बचा, यह तय होता है कि आप संसार में कितना Involve हैं/ धंसे हुए हैं । चिंतन
केवलज्ञानी का खून
सामान्य केवली का खून सफेद नहीं होता । सिर्फ तीर्थंकरों का होता है, क्योंकि खून सफेद होना जन्म का अतिशय हैं, केवलज्ञान का नहीं ।
प्रार्थना
💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎 यदि हवाएं मौसम की गर्मी समाप्त कर सकती हैं, तो..यकीन कीजिए, प्रार्थना भी मुसीबत के पल ख़त्म कर सकती है । हम सभी की
महत्वपूर्ण मुकाम
एक मुकाम जिंदगी में ऐसा भी आता है, “क्या भूलना है” बस यही याद रह जाता है । (सुरेश) और यह जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण
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