Day: July 24, 2021

गुरु-पूर्णमाँ / विपरीतता

गुरु-पूर्णमाँ… पंक नहीं पंकज बनूँ, मुक्ता बनूँ न सीप, दीप बनूँ जलता रहूँ, गुरु पद पद्म समीप. आचार्य श्री विद्या सागर जी ———————————————– विपरीतता… भोगभूमि

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विपरीतता / गुरुपूर्णमाँ

विपरीतता प्रकृति का नियम है । प्रतिकूल वातावरण में अनुकूल की साधना ही सच्ची साधना है । हीरा कोयले की खान में ही । शंख/गाय

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मंगल आशीष

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