Month: July 2021

समाधि

समाधि में मौत कोई बहाना नहीं ढ़ूंढ़ती है । शरीर को विकृत करके नहीं छोड़ते, इसलिये अगले भव में सुंदर शरीर मिलता है । मन

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साधना / प्रभावना

साधना से प्रभावना होती ही है, पर प्रभावना के लिये साधना करना उत्कृष्ट साधना नहीं । चिंतन

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शोक में चिंतन

शोक में भगवान को अशोक वृक्ष के नीचे बैठे ध्यान/चिंतन करें । उस वृक्ष का नाम ही अ-शोक है, ऐसा ध्यान करने से शोक दूर

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जोख़िम

प्रत्येक काम जोख़िम भरा होता है । परंतु कुछ भी नहीं करना तो उससे भी बड़ा जोख़िम है । (अनुपम चौधरी)

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गुरु-पूर्णमाँ / विपरीतता

गुरु-पूर्णमाँ… पंक नहीं पंकज बनूँ, मुक्ता बनूँ न सीप, दीप बनूँ जलता रहूँ, गुरु पद पद्म समीप. आचार्य श्री विद्या सागर जी ———————————————– विपरीतता… भोगभूमि

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विपरीतता / गुरुपूर्णमाँ

विपरीतता प्रकृति का नियम है । प्रतिकूल वातावरण में अनुकूल की साधना ही सच्ची साधना है । हीरा कोयले की खान में ही । शंख/गाय

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हिंसा

अविरत सम्यग्दृष्टि 5 स्थावर जीवों की हिंसा करता है । जबकि ऊपरी गुणस्थान वालों से हिंसा हो जाती है, वे करते नहीं हैं । मुनि

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Happiness

Nazim Hikmat the great Turk poet (Faiz was one of his admirers) once asked his friend Abidin Dino (Turkish artist and a well-known painter) to

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अभीक्ष्ण-संवेग

दु:खों में संसार से सब डरते हैं, कोरोना में देखा – संसार निस्सार लगने लगा । पर सुख में ? जब सुख में भी संसार

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गुरु

बिना गुरु के सिखाये नृत्य को मयूर नृत्य कहते हैं । मयूर नृत्य करते समय अपने गुप्तांग को उघाड़ लेता है जो अभद्र दिखता है

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मंगल आशीष

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July 26, 2021