Month: July 2021
स्वप्न
मैंने स्वप्न में “स्व” “पन” देखा । (हरेक “पर” वस्तु में “स्व” को देखें जैसे दर्पण में देखते हैं) आचार्य श्री विद्यासागर जी
स्व-शक्ति
स्व-शक्ति का भान भी होना चाहिये तथा ध्यान भी रखना चाहिये, वरना अंधा पीसे, कुत्ते खांय । मुनि श्री सुधासागर जी
पुद्गल का जीव पर उपकार
पुद्गल जीव पर तभी बड़ा उपकार करेगा जब उसमें उपकारी-गुणों की स्थापना की गयी हो जैसे मूर्ति में भगवान । श्री लालमणी भाई – चिंतन
उद्धार
पंचमकाल समुद्र है, हुंडावसर्पिणी उसमें तूफान, संयम का दीपक जलाये रखना, देव/शास्त्र/गुरु की नाव का सहारा है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
अवगुणों से गुण-ग्राहिता
सामने वाले के गलत क्रम में लगे बटनों को देखकर अपने बटन चैक करना, ताकि हंसी के पात्र न बन जाएं । आचार्य श्री विद्यासागर
करुणा / मोह
करुणा आत्मा का स्वभाव है, इसका कर्मों से कोई सम्बंध नहीं; जबकि मोह, कर्म जनित होते हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
ग़लतियाँ
ज़िद, गुस्सा, लालच और अपमानादि…. खर्राटों की तरह होते हैं, जो…. दूसरा करे तो चुभते हैं, पर ख़ुद करें तो एहसास तक नहीं होता ।
नो-कर्म / शरीर-नामकर्म
नो-कर्म, 8 कर्मों में शामिल नहीं । नो-कर्म, कर्म नहीं, कर्म की तरह रागद्वेष में कारण है जैसे प्रिय/अप्रिय शब्द । शरीर-नाम कर्म, 8 कर्मों
धर्म / अध्यात्म
धर्म क्रियात्मक यानि करना, जिसके करने से लोग धर्मीं कहें, आचार धर्म है । अध्यात्म विचारात्मक । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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