Month: September 2021

सूक्ष्म जीव

एक इन्द्रिय सूक्ष्म जीव जैसे वातावरण में गैस । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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अंधकार

सबसे बड़ा अंधकार – मूर्छा आचार्य महाप्रज्ञ जी (इसका प्रतिकार ज्ञान । बाहर तो बहुत कृत्रिम प्रकाश बढ़ रहा है पर अंदर का अंधकार भी

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इन्द्रिय / मन

इन्द्रिय – आत्मा को इंद्र कहते हैं । आत्मा ज्ञान रूप है। 1. जो संसारी आत्मा को ज्ञान कराये, वह इंद्रिय । 2. जो जीवों

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बिडम्बना

उस एक के लिये बहुत दु:खी होते हैं, जो हजारों प्रार्थनाओं के बाद भी नहीं मिलता। पर उन हजारों से सुखी नहीं होते, जो एक

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क्षयोपशम

विशुद्धि बढ़ने से क्षयोपशम बढ़ता है, संक्लेश भावों/ दु:खी रहने से क्षयोपशम घटता है । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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मंज़िल

सड़क लगातार सीधी नहीं बनी रहती, हलके/ खतरनाक मोड़/ चढ़ाई भी आती रहती है, यदि धैर्य तथा सावधानी पूर्वक चलते रहे तो मंज़िल पर अवश्य

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मोक्ष-मार्ग

मोक्ष-मार्ग, जटिल तो है किंतु, कुटिल नहीं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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भाग्यशाली

भाग्यशाली वह नहीं जिसके पुण्य का उदय चल रहा है, बल्कि भाग्यशाली वह है जो पुण्य के उदय में पुण्य कर रहा है । आचार्य

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निज / पर

निज में रहे तो जिन बनोगे; “पर” में रहे तो, जिन्न । मुनि श्री महासागर जी

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मंगल आशीष

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