Day: October 25, 2021

अनंत

अभव्य अनंत, भव्य-अनंतानंत; भूत अनंत समयों का, भविष्य – अनंतानंत समयों का। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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मन / चित्त

मन बाहरी, इसीलिये बाहरी वस्तुओं से प्रभावित हो जाता है। चित्त अंतरंग, संस्कार चित्त पर ही होते हैं, यह Hard Disk है, भाव चित्त से

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मंगल आशीष

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October 25, 2021