Day: December 18, 2021

श्रमण

श्रमण… शरीर की अपेक्षा वस्तु हैं, श्रमणता की अपेक्षा तत्त्व, जीव की अपेक्षा पदार्थ। कुछ श्रमण इतने ऊँचे उठ जाते हैं कि श्रमण-संस्कृति का निर्माण

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नियतिवाद

नियतिवाद जीवन के अंतिम दिनों में चलेगा। लेकिन पहले आ गया तो समझना, जीवन का अंत आ गया। मुनि श्री सुधासागर जी

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मंगल आशीष

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