Day: January 2, 2022

मिथ्यात्व

अनित्य को नित्य मानना भी मिथ्यात्व है। क्योंकि तुमने सच्चे देव, शास्त्र, गुरु को तो माना पर उनकी नहीं मानी। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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संतोष

साधु और पापी दोनों में ही संतोष दिखता/होता है। बस दोनों की मंज़िलें विपरीत दिशा में होतीं हैं। शकुनि ने अपनी बहन के साथ हुये

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मंगल आशीष

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