Month: January 2022
सीमा
महाभारत की कथा हैः शिशुपाल के जन्म पर भविष्यवाणी हुई थी कि कृष्ण के हाथों उसका वध होगा। उसकी माता के आग्रह पर कृष्ण ने
पिता की सम्पत्ति
बच्चों को पिता की सम्पत्ति पर दृष्टि नहीं रखनी चाहिये। वे दें, तो सहेजा जैसी मात्रा में लें, जिससे आप अपना ख़ुद का दही जमा
पूजक / पूज्य
पूजक, पूज्य की पूजादि करके ख़ुद फलीभूत होते हैं, पर जब पूज्य पूजक के निमित्त से फलीभूत हों तब पूजक का पुण्य अक्षय रहेगा। पर
मनुष्य जन्म का उद्देश्य
छोटे बच्चे को सामान लेने 500 रुपये दिये। बच्चे ने कहा कि मैं अपने लिये टॉफी भी ले आऊँ ? ले आना। दुकान पर पहुँच
निमित्त
जीवन-उत्थान के लिये दो निमित्त चाहिये – 1. कुलाचार चलाने के लिये – माता/पिता: बुराइयाँ, जो गुरु से दूर करती हों, छुड़ाने के लिये। ये
स्व-पर हित
पड़ौसी के घर की आग बुझाने को महत्त्व दें। इस परोपकार से अपना भी भला – अपना घर बचेगा। दो रोटी में से आधी रोटी
प्रामाणिक ज्ञान
मति/श्रुत ज्ञान तो परोक्ष-ज्ञान है तो प्रामाणिक कैसे ? क्योंकि सम्यग्ज्ञान, केवल-ज्ञान पर आधारित होता है, इसलिये ये भी प्रामाणिक है। सिर्फ केवलज्ञान को प्रामाणिक
नियति / पुरुषार्थ
फ़ेल होने को (घटना घटने के बाद) नियति मानना, वरना अवसाद में घिर जाओगे। पास होने को भी भाग्य मानना, वरना घमंड आ जायेगा। पर
आसन्न भव्य
आसन्न भव्य वह… जो पुण्य से वैसे ही डरता है जैसे पाप से। वचन/काय से पाप नहीं करता फिर भी अपने को पापी कहता है।
सही क्या ?
1. आंखें न मूदो! 2. न ही दिखाओ! 3. सही क्या, देखो! आचार्य श्री विद्यासागर जी 1. स्वयं के प्रति 2. स्वजनों के प्रति 3.
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