Month: February 2022
करणानुयोग
करणानुयोग से… 1. ज्ञान का विस्तार होता है 2. केवलज्ञान पर विश्वास 3. रागद्वेष कम होता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी 4. चंचल मन को
प्रभु
जो सब स्वीकार कर लें/ सबको स्वीकार लें – वह प्रभु। हम प्रभु को स्वीकार लें/ प्रभु की स्वीकार लें तो हम भी प्रभु बनने
संवेग / वैराग्य
संवेग/वैराग्य वाले की स्मरण शक्ति तेज होती है, उसे सब पुराना दिखता है/पुराने failure याद रहते हैं। (भगवान की वाणी पर विश्वास पक्का होता है)
भक्त
गुटका आदि व्यसनों से भक्त को ज्यादा पाप लगता है क्योंकि उनको तो प्रशस्त-पुण्य मिला था गुरु/भगवान की सेवा करने का, उस पुण्य को उन्होंने
बोधी-दुर्लभ भावना
बोधी-दुर्लभ भावना… सम्यग्दर्शन प्राप्त करना दुर्लभ है। सही, पर उस दुर्लभ को प्राप्त करने के लिये ही तो इतने दुर्लभ साधन मिले हैं – दुर्लभ
रुचि / अरुचि
डाकू से बातें कितने आदरपूर्वक, ध्यान देकर पर अरुचि से करते हैं; मित्र से रुचिपूर्वक। संसारीयों से पूरा ध्यान, आदर पूर्वक पर अंदर से अरुचिपूर्वक,
लब्धियाँ
क्षयोपशम-लब्धि में पाप से घ्रणा तथा कल्याण की ललक आ जाती है। पर देशना-लब्धि के बिना प्रायोग्य-लब्धि में प्रवेश नहीं मिलता है। जैसे घी के
दया
अकाल में भी जब सब ओर पानी समाप्त हो जाता है, आँख में पानी बचा रहता है (जब तक आदमी बचा रहता है)। आचार्य श्री
वैराग्य
महावीर भगवान ने अन्य भगवानों की तरह गृहस्थ जीवन बिताकर वैराग्य क्यों नहीं लिया ? महावीर भगवान के समय हिंसा का वातावरण था, वैराग्य में/भगवान
उपयोगिता / तप
सोने से बेहतर है, गहना बनना। पर उसमें तो अशुद्धि मिलाई जाती है ? पर थोड़ी अशुद्धि के साथ उसकी उपयोगिता भी तो बढ़ जाती
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