Month: February 2022

उपशम/क्षायिक सम्यग्दर्शन

दोनों सम्यग्दर्शनों में 7 प्रकृतियों का उदय नहीं है पर विशुद्धता में बहुत फर्क है । क्षायिक सम्यग्दृष्टि 3 या 4 भवों में मोक्ष जबकि

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प्रार्थना / आभार

“प्रार्थना” से ज्यादा “आभार” प्रकट करना कारगर होता है। प्रार्थना में नकारात्मकता/दीनता है/ अपने व्यक्तित्व को गिराना है/ अवसर कभी-कभी आते हैं, जब आप मुसीबत

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आत्मा

आत्मा ज्ञान प्रमाण है, ज्ञान ज्ञेय प्रमाण, ज्ञेय अनंत हैं; तो आत्मा कितनी शक्तिशाली हुई ! फिर आज इतनी कमजोर कैसे ? शक्तिशाली अपराधी भी

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शत्रु / मित्र

जिनसे मेरे कर्म कटें वे मेरे शत्रु कैसे ! जिनसे मेरे कर्म बंधे वे मेरे मित्र कैसे !! आचार्य श्री विद्यासागर जी

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निदान

गोताखोर को जितना नीचे जाना हो उतना ऊपर उछलना होता है/अधिक शक्त्ति लगानी होती है। जितने बड़े आकर्षण, उतने गहरे नीचे ले जाते हैं जैसे

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खेल

खेल में हार न हो, सिर्फ जीत ही जीत हो तो खेल का आनंद क्या! जीवन का आनंद लेना है तो हार को भी स्वीकारना

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मरणांतिक समुद्घात

जिनको अपने कर्मों पर भरोसा नहीं होता, उनके मरणांतिक समुद्घात होता है । मुनि श्री सुधासागर जी

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विषय

संसार में अगली अगली कक्षाओं में ज्ञान तो बढ़ता जाता है पर विषय (विषय भोग) गहरे होते जाते हैं । धर्म में ज्ञान बढ़े या

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तीर्थंकर का सफेद खून

भगवान की माँ का खून लाल होता है और तीर्थंकर उनके पेट में, माँ के नाल से ही सम्बंध तो तीर्थंकर का खून सफेद कैसे

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इच्छायें

जीवन एक ऐसा सफ़र है कि मंज़िल पर पहुँचा तो मंज़िल ही बढ़ा दी – यही पतन का कारण है। क्या करें ? उन इच्छाओं

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मंगल आशीष

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February 23, 2022

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