Day: March 2, 2022

निदान-ध्यान

5वें गुणस्थानवर्ती तक के गृहस्थ सांसारिक ज़रूरतों की पूर्ति के लिये ध्यान करते हैं, पर 6वें गुणस्थान व आगे के मुनियोंकी सांसारिक इच्छायें समाप्त हो

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वास्तविक स्वरूप

संसार शोकमय, काया रोगमय, जीवन भोगमय, सम्बंध वियोगमय; बस, धर्म/सत्संग ही उपयोगमय होता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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March 2, 2022