Day: March 23, 2022

संसारी/मुक्त जीव

“संसारिण: मुक्ता: च” – तत्त्वार्थ-सूत्र – 2/10 इस सूत्र में “संसारी” पहले लिया, हालाँकि “मुक्त” ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, कारण – 1. मुक्त संसार से ही

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संगति

लुहार सुबह अग्नि को पूजता है । बाद में उसी अग्नि को घन से पीटता है । कारण ? सुबह अग्नि एकाकी रहती है, बाद

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मंगल आशीष

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