Month: January 2023

मनुष्यनी

भाव-वेद की अपेक्षा जिनमें स्त्री-वेद पाया जाता है, चाहे द्रव्य से मनुष्य। इनमें सारी ऋद्धियाँ नहीं होती/ कुछ संयम उत्पन्न नहीं होते। मुनि श्री प्रणम्यसागर

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मूर्छा

सुनारों की दुकानों पर झाडू उल्टी लगती है (बाहर से अंदर की ओर)। फिर कचड़े को भरकर घर ले जाते हैं। बहुत लम्बी विधि जैसे

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पर्याप्ति

पर्याप्ति पूर्ण होने पर सिर्फ योग्यता आती है या कुछ और भी ? हमारी जिज्ञासा योग्यता, शक्ति की पूर्णता तथा वर्गणायें ग्रहण कर रचना भी

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मोह

मोह तथा चुम्बक अपने क्षेत्र में हर किसी को आकर्षित कर लेते हैं, आत्मा भी शरीर के साथ मोहवश ही रहती है। पर वैराग्य के

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अनुयोग

चरणानुयोग संसार से भय उत्पन्न करता है। द्रव्यानुयोग अभय। मुनि श्री सुधासागर जी

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वात्सल्य

चलो अपन जहाँ को बांट लेते हैं… अकाश तुम रख लो, जमीं हम रख लेते हैं, सूरज तुम रख लो, रोशनी हम रख लेते हैं।

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पल्य

पल्य का असंख्यातवाँ भाग = असंख्यात वर्ष। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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सोच / सुनना / सहना

छोटी सोच शंका को जन्म देती है, बड़ी सोच समाधान को। सुनना (गुरु की सीख/ कटु सीख) सीख लिया तो सहना सीख जाओगे और सहना

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तीर्थंकर प्रकृति बंध

तीर्थंकर प्रकृति बंध 8वें गुणस्थान के ऊपर इसलिये नहीं क्योंकि आगे कषाय/संक्लेष बहुत मंद हो जाते हैं। मुनि श्री सुधासागर जी

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विवेक / मूढ़ता

साइकिल रेस में Cow Trap लगा दिया। ज्यादातर लोग पट्टियों पर से सावधानी पूर्वक धीरे-धीरे पार करके आगे बढ़े। एक सवार Diagonally तेजी से Cross

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मंगल आशीष

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