Day: May 30, 2023

संक्लेश

संक्लेश परिणामों से बार-बार अपर्याप्तक निगोदिया बनते हैं। उनका ज्ञान जघन्यतम होता है। यानि संक्लेश, अज्ञान के अनुपात में होता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Read More »

अनेकांत

अनेकांत = सबका स्वागत/ स्वीकार (अपेक्षा सहित) मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

May 30, 2023