Month: May 2023
मोक्षमार्ग
1. संसार से डरना, मन की फितूरी संयमियों की संगति से दूर हो जाती है। 2. आयतन में रहना/ पचना/ रमना, अनायतन से बचना। तब
मन से कर्म-बंध
मन से कर्म-बंध सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि मन की यात्रा बहुत ज्यादा होती है यानि मनोयोग सबसे ज्यादा हुआ तो कर्म-बंध भी सबसे ज्यादा
जीवन
जीवन एक संघर्ष है, सो जब तक जीवन है संघर्ष करते रहना है। (हारना/ रोना क्यों!) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
गतियाँ / कषाय
नरक गति में जन्मे जीव को प्रथम समय में क्रोध/ बहुलता भी क्रोध की/ संस्कार भी लम्बे समय तक चलता है। ऐसे ही अन्य गतियों
कृपादृष्टि
जरा न चाहूँ *, अजरामर** बनूँ नज़र*** चाहूँ। आचार्य श्री विद्यासागर जी * वृद्धावस्था ** अजर-अमर *** गुरु/ भगवान की कृपा-दृष्टि
स्त्री को मायाचारी !
फूल की सुरक्षा के लिये कांटे दिये। यदि स्त्री को मायाचारी स्वभाव न मिला होता तो वह जी नहीं पाती। मुनि श्री सुधासागर जी
आनंद / भय
100 लोगों को सुगंधित पुलाव दिया गया। शैफ ने कहा चावल जैसा एक कंकड़ रह गया है। 1 व्यक्ति को छोड़कर सब डरे-डरे/सावधानीपूर्वक खाते रहे।
क्रोध
क्रोध के 4 प्रकार(शक्ति की अपेक्षा)…. 1. तीव्रतर…पत्थर की रेखा, नरक गति/आयु, इन पर उपदेश काम नहीं करते। 2. तीव्र….पृथ्वी की रेखा, तिर्यंच आयु। 3.
देव-दर्शन
देव-दर्शन का मुख्य उद्देश्य ? प्रसन्नता प्राप्त करना…. 1. भगवान सब अभावों में भी प्रसन्न रहते हैं। भगवान की दृष्टि अपने पर रहती है। हम
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