Month: July 2023
आयुबंध
अपकर्ष कालों में सबसे ज्यादा जीव एक बार आयुबंध करते हैं। उनसे असंख्यात गुणे कम 2 बार। क्रमश: संख्यात-2 गुणे कम-कम होते, 8 बार आयुबंध
रति / राग / मोह
रति → झुकाव, राग→ लगाव, मोह → जुड़ाव। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
आयुबंध
कषाय के उदय स्थानों में 8 मध्यम अंश हैं जो आयुबंध के योग्य हैं। हर लेश्या में – शिला, पृथ्वी, धूलि, जल जैसी तीव्रता, तो
किस्मत
अपनी किस्मत तो हर व्यक्ति खुद लिखता है पर लिखते समय मदहोश रहता है सो भूल जाता है कि क्या लिखा था। इसलिये ज्योतिषियों से
देशव्रती की मांग
देशव्रती भगवान/ गुरु से शरीर/ परिवार चलाने के लिये मांग सकता है (व्यवस्था चलाने के लिये), पर भोग-विलास के लिये नहीं। मुनि श्री सुधासागर जी
मान
स्वाभिमान… स्व-अपेक्षित, अभिमान…. पर-अपेक्षित। मुनि श्री सुधासागर जी (निरभिमान… न स्व-अपेक्षित, ना पर अपेक्षित)
ध्यान
सिद्ध/अरहंत का ध्यान कैसे करें ? उनके द्रव्य/ पर्याय/ गुणों को याद करके जैसे अरहंत को अशोकवृक्ष, सिंहासन आदि को ध्यान में लाकर। मुनि श्री
प्रतिबिम्ब
पटना के एक सप्ताह के प्रोग्राम से लौटने पर एक स्वाध्यायी ने कहा → यहाँ तो सूना कर गये (स्वाध्याय बंद हो गया था)। जबाब
अपकर्ष काल
भुज्यमान आयु का अपकर्ष कर-करके परभव आयु के बंघ के काल को अपकर्ष-काल कहते हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड -गाथा – 518)
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