रति / राग / मोह
रति → झुकाव,
राग→ लगाव,
मोह → जुड़ाव।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
रति → झुकाव,
राग→ लगाव,
मोह → जुड़ाव।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने रति, राग, मोह का वर्णन किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः रति भगवान् एवं गुरुओं के साथ रहना चाहिए जबकि राग, मोह को छोडना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।