Day: August 14, 2023
अभव्य / अभव्य समान भव्य
August 14, 2023
अभव्य…. एक इन्द्रिय से पाँच इन्द्रिय तक। अभव्य समान भव्य…. एक इन्द्रिय ही। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थसूत्र- 2/19)
मजबूरी / पुरुषार्थ
August 14, 2023
मजबूरी में Accept भी करना होता है। Adjust करने के लिए पुरुषार्थ ही। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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