मजबूरी / पुरुषार्थ
मजबूरी में Accept भी करना होता है।
Adjust करने के लिए पुरुषार्थ ही।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
मजबूरी में Accept भी करना होता है।
Adjust करने के लिए पुरुषार्थ ही।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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One Response
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने म़जबूरी एवं पुरुषार्थ की परिभाषा दी गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कल्याण के लिए हर क्षेत्र में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।