Month: October 2023
श्रद्धा / प्रमेयत्व
सामान्य दृष्टि से सब नहीं दिखता। चश्मा लगा कर बेहतर, श्रद्धा से अरूपी पदार्थ भी। प्रमेयत्व गुण की वजह से रूपी/ अरुपी पदार्थ देखे जाते
शिक्षा / विद्या
शिक्षा Broad अर्थ में आती है, विद्या भी इसमें समाहित है। विद्या Specific, जो हमारे जीवन को संवारने के काम आये। इसलिए विद्यार्थी कहा, शिक्षार्थी
शक्तियाँ
मुनिराज उपादान शक्ति को जाग्रत/ बढ़ा लेते हैं। इसलिए उनको काले/ नीले शरीर से दर्शाते हैं। जिस पर बाहर के दूसरे रंग/ निमित्त शक्तियाँ प्रभावित
धर्म का कार्य
धर्म संकटों को समाप्त नहीं करता, उन्हें सहने की शक्ति देता है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी अपने पापों को स्वीकार कराता है/ पापों का
राग / मोह
राग… चारित्र मोहनीय ही। मोह… दर्शन व चारित्र मोहनीय भी। विपरीत दिशा में ले जाता है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
संयम / असंयम
संयम….स्वाधीन है, सरल है। असंयम…पराधीन, कठिन। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
धर्म
बिच्छू काट ले तो मरण। ये धर्म हुआ या अधर्म ? ये बिच्छू का स्वभाव है, अपने भरण पोषण/ Defence में काटता है। स्वभाव को
भाग्य / समय
‘भाग्य से अधिक और समय से पहले कुछ नहीं मिलता’ – यह सिद्धांत शुरुआत के लिए खतरनाक है/ पुरुषार्थहीन बना देता है। पुरुषार्थ पूरा करने
दर्शन / ज्ञान
दर्शन में विकल्प नहीं क्योंकि यह सामान्य आभास है (इसमें सम्यक्त्व/ मिथ्यात्व नहीं)। ज्ञान में विकल्प है (सम्यक्त्व/ मिथ्यात्व भी है)। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
हिंसा
जैन दर्शनानुसार – धार्मिक गृहस्थ लोग हिंसा करते नहीं पर जीवनयापन में हिंसा हो जाती है। उसके लिये उन्हें थोड़ा सा दोष लगता है/ नहीं
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