राग / मोह
राग… चारित्र मोहनीय ही।
मोह… दर्शन व चारित्र मोहनीय भी। विपरीत दिशा में ले जाता है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
राग… चारित्र मोहनीय ही।
मोह… दर्शन व चारित्र मोहनीय भी। विपरीत दिशा में ले जाता है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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