Day: February 21, 2024

मोक्षमार्गी

अविरत सम्यग्दृष्टि –> कारण-मोक्षमार्गी। रत्नत्रयधारी ही —–> कार्य-मोक्षमार्गी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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वेग

1. वेग – काम करने की गति सामान्य/ कुछ अधिक। 2. आवेग – व्यक्ति के भावों में उछाल आता रहता है। 3. उद्वेग – उद्वलित/

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मंगल आशीष

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