Month: March 2024
देशघाती / सर्वघाती
देशघाती में सर्वघाती द्रव्य भी रहता है, सर्वघाती में देशघाती नहीं जैसे अनंतानुबंधी। क्षयोपशम में देशघाती तथा सर्वघाती दोनों रहते हैं जैसे ज्ञानावरणादि में। कमलाबाई
संगति
दुर्जनों से ही नहीं उनकी छाया से भी दूर रहना चाहिये। Safe-distance बना कर रखें। आचार्य श्री विद्यासागर जी
एकेंद्रिय
एक इंद्रिय जीवों के लिये भी → वीर्यांतराय + मतिज्ञानावरण के क्षयोपशम + शरीर नामकर्म तथा जाति नामकर्म के उदय लगते हैं। सब में प्रवृत्तियाँ
अवांछनीय
ज़हर को जानो, धारण मत करो ! ऐसे ही अन्य अवांछनीय चीज़ों के लिये समझें। (ज़हर से तो एक झटके में मृत्यु होती है। अवांछनीय
गति / गत्यानुपूर्वी
जीव के वर्तमान को चलाता है गति नामकर्म। गत्यानुपूर्वी जीव को विग्रह गति में चलाता है। (लेकिन पर्याप्तक होने पर इसका उदय बंद हो जाता
गुणस्थान / लेश्या
गुणस्थान… मोह की न्यूनता / अधिकता होने से भावों में बदलाव। लेश्या… कषाय + योग प्रवृत्ति में न्यूनता/ अधिकता से आत्मा का लेपन। गुणस्थानों के
श्री षटखण्डागम
6 खंडों के नाम – जीवठान छुद्दाबंध बंध स्वामित्व विचय वेदना अनुयोग द्वार वर्गणाखंड महाबंध मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान – 9)
अर्थ / परमार्थ
संसार कहता है धन कमाओ, परमार्थ कहता है जीवन को धन्य करो; दोनों में सामंजस्य कैसे बैठायें ? बाएं हाथ से धन कमाओ, दाएं हाथ
Recent Comments