Day: May 15, 2024

योग

जीव… काययोग से शरीरगत वर्गणाओं को, वचनयोग से वचनगत वर्गणाओं को, मनोयोग से मनोगत वर्गणाओं को ग्रहण करता रहता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड:

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साधन / रोग

साधनों के अतिभोगी न बनो, जरा योगी भी बनो, ताकि रोगी बनने से छुटकारा मिल सके !

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मंगल आशीष

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May 15, 2024