Month: May 2024

निधति / निकाचित

निधति/ निकाचित कर्मों की तरह, निधति/ निकाचित करण भी होते हैं। जिनबिम्ब दर्शन तथा आठवें गुणस्थान की विशुद्धि इन कर्मों को समाप्त करने में कारणभूत

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सपने

भविष्य बताने वाले सपने तो प्राय: महापुरुषों को ही आते हैं। साधारण लोगों के सपने तो मन के भावों/ स्वभाव पर ही आधारित होते हैं।

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वृद्धावस्था

आयुकर्म की उदीरणा(जो कमला बाई जी के अनुसार छठे गुणस्थान तक होती है), के चलते वृद्धावस्था में कमजोरी आती है। जो उदीरणा नहीं होने देते,

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केवली के प्राण / इन्द्रियां / पर्याप्तियां

सयोग केवली के क्षयोपशम भाव का अभाव होने से भावेन्द्रियां नहीं होतीं। पर्याप्तियां द्रव्येन्द्रियों की अपेक्षा से जानें। प्राण 4( श्वासोच्छवास, आयु, वचन, काय), अयोग

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चरण / साधु

भगवान के चरण-चिह्न स्त्रियाँ छू सकती हैं, साधु के चरण क्यों नहीं ? दादा जी का बहू लिहाज करतीं हैं, उनके फोटो का क्यों नहीं

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व्रत / शील

वैसे व्रत पहले होते हैं, शील बाद में पर कहने में “शील व्रत” कहा जाता है। व्रत और शील अलग-अलग भी लिये जाते हैं (सिर्फ

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साधन का सहारा

संस्कार शिविरों के अनुभवों को तब तक याद रखें, जब तक उनसे ऊपर न उठ जाय (कई शिविरार्थी साधु बन गये जैसे मुनि श्री पूज्यसागर

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निर्दोष व्रत

निर्दोष व्रत पालन के लिये विकथाओं तथा कषायों से बचना होगा। क्योंकि उनमें Involve होने से व्रती अपने से दूर चला जाता है, फिर वापस

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साधन / साध्य

शीतल/ प्यास बुझाने वाला जल तो कुएं में ही है। पर उसे पाने के लिये रस्सी, बाल्टी जरूरी हैं। पूजादि भी साधन हैं, आत्मधर्म प्रकट

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मंगल आशीष

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May 11, 2024