Month: August 2024
शुद्ध जीवों में क्रिया
शुद्ध जीव 14वें गुणस्थान से सिद्धालय तक की 7 राजू की यात्रा करके हमेशा – हमेशा के लिये क्रिया रहित हो जाते हैं। मुनि श्री
व्रत
व्रत निधि है, विरति निषेध*। आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी (19 अगस्त 2024) * पापों को ना कहना/ नहीं करना।
परमाणु में गुण/पर्याय
परमाणु में 4 गुण/ 5 पर्याय (एक रस, एक गंध, एक वर्ण, शीत या उष्ण, स्निग्ध या रुक्ष)। श्री राजवार्तिक – 5/25, पृष्ठ 13-14 (2008)
दर्शन
दर्शन की पैदाइश* से दुःख। दर्शन-शुद्धि सो जीवन शुद्धि। ब्र. डॉ. नीलेश भैया * देखने के भाव
उपशम भाव
उपशम भाव…. दर्शन मोहनीय की अपेक्षा चौथे गुणस्थान से। चारित्र मोहनीय की अपेक्षा सातवें गुणस्थान से। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
मोह
एक राजा ने चित्रकारों की एक प्रतियोगिता कराई। इसमें किसी ने खेत दिखाया, इतना सजीव कि गाय भ्रमित हो गई। किसी ने फूल दिखाये तो
नरकों के बिल
पहले से सातवें नरकों में बिलों की संख्या तथा नारकियों की संख्या भी कम होती जाती है लेकिन दु:ख बढ़ते जाते हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर
गृहस्थ
गृहस्थ चावल जैसा है, पूजा की सामग्री में पुजारी, घर में खिचड़ी, गरीब को दान करते समय साहूकार/ माँ रूप। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
भोग-भूमि
जघन्य भोग भूमि दो प्रकार की … कुभोग भूमि तथा सुभोग भूमि। मुनि श्री अजितसागर जी/ऐलक श्री विवेकानन्दसागर जी
उन्नति / अवनति
कैसे तय करें कि हम उन्नति कर रहे हैं या अवनति ? दूसरों से अपने बारे में Opinion लें। Negative Remarks आने पर उस व्यक्ति
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